Saturday, August 1, 2009

यह डिग्री भी लेलो , यह नौकरी भी लेलो ,2

यह डिग्री भी लेलो , यह नौकरी भी लेलो ,
भले मुझसे लेलो वोह US का Visa,
मगर मुझको लौटा दो college का canteen,
वोह तीखा समोसा , वोह ठंडा सा पानी ,
वोह College की सबसे - पुराणी निशानी ,
वोह चाय वाला जिसको - सारे कहते थे ... जानी ,
वोह जानी के हाथों - की 'कटिंग ' चाय मीठी ,
वोह चुप -केसे journal - में जो भेजी थी चिट्ठी ,
वोह पढ़ते ही चिट्ठी - था उसका भड़कना ,
वोह चेहरे की लाली , woh आंखों का गुस्सा ...
वोह तीखा समोसा , वोह ठंडा सा पानी ………..
कड़ी धुप में - अपनी रूम से निकलना ,
वोह प्रोजेक्ट ki खातिर - था डर डर भटकना ,
वोह lecture में दोस्तों - की proxy लगाना ,
वोह सर को चिडाना , aeroplane आना,
वोह submission की रातों - को जागना जगाना ,
वोह viva's के किस्से , वोह pracs की कहानी ....
वोह तीखा समोसा , वोह ठंडा सा पानी ……….
वोह देना बिमारी - का हर टाइम बहाना ,
वोह दूसरों का assignment - को अपना बनाना ,
वोह seminar के दिन - पैरों का छट-पटाना,
वोह workshop में दिन भर - पसीना बहना ,
वोह slogans बनाना - और Gym में रखदेना ,
फिर Exam के दिन को – था बेचैन होना ,
वोह तीखा समोसा , वोह ठंडा सा पानी ……..
College की थी - वोह लम्बी सी रातें ,
वोह दोस्तों से tapre पे - प्यारी सी बातें ;
वोह gathering के दिन का – जो लड़ना झगड़ना ;
वोह कुडियों का युहीं - हमेश अकड़ना ;
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई -------
वोह कॉलेज , वोह बातें , वोह गुज़ारा जमाना …
Woh Teekha Samosa, Woh thanda saaa paani…..

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