मेहेरबानी करके हमारी एक आखरी घुज़रिश पुरी कर दीजिये .
आपकी नूर भरी आंखों को हमारी नज़रों से मिला दीजिये .
जीने की ख्वाहिश तो एक सपना बन कर रह गई है .
सिर्फ़ एक बार मुस्कुरा के हमें जन्नत के द्वार तक पोहोंचा दीजिये .
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दर्द मेरे दिल का कोई भी न जाने
न कोई मेरी वफ़ा पहचाने
जिसका सहारा बना था कभी मै
वो ही लगे दिल को दुखाने
दर्द मेरे दिल का कोई भी न जाने …
हर रात उनके याद मैं गुजरे हर दिन नया ज़ख्म दे के जाए
आँखों से बहती है अश्को की धारा सितमगर जब याद आ ही जाए
उनके लिए मै दुनिया भुलाई वो ही लगे मेरे दिल को दुखाने
दर्द मेरे दिल का कोई भी न जाने ॥
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